Wednesday, May 9, 2018

मैं, माला और वो - भाग 2

आध्यात्मिक मार्ग बहुत ही कठिन होता है । ऊपर से जितना सीधा और सरल लगता है, अंदर से पाना उतना ही जटिल होता है । क्योंकि हम सब संसार में डूबे हुए हैं, मन माया से उभरकर प्रभु में लीन होने के लिए अथक प्रयास करता है, जो बहुत ही दुर्गम है । अगर इतना ही सरल होता तो सब लोग भगवान को पा ही लेते । बिना समर्पण और भक्ति के प्रभु का सान्निध्य नहीं मिल सकता । मुझे इतना समझने के लिए बहुत कुछ गँवाना पड़ा । क्यों की इस राह पे चलते मुझे कुछ गलत लोग मिल गए, जो मुझे गुमराह किये ।

इस मार्ग पे चलना सरल है, लेकिन उतना ही विश्वास होना चाहिए और सही मार्गदर्शक मिलना चाहिए । आज के जमाने में बहुत ढोंगी और झूठे लोग हैं, जो की लालच और स्वार्थ के कारण कुछ भी गलत रास्ता दिखा देते हैं ।  मन, ह्रदय साफ हो तो ईश्वर की अनुकंपा होगी । कुटिल मन और ह्रदय के प्राणी को जितना भी ज्ञान दो, वो सुधर नहीं सकता । और ये सब पूर्व जन्म के कर्म पर भी निर्भर है । अगर किसीने पूर्व जन्म में उतना ही जप, तप, ध्यान और भक्ति किया होगा तो इसी जनम में उसको आध्यात्मिक मार्ग अवश्य मिलेगा । नहीं तो सब लोग आध्यात्मिक नहीं बन जाते । और कर्म के अनुरूप भाग्य  मिलता है सही समय आने पर । काल से पहले कुछ भी प्राप्त करना उचित नहीं है, और बहुत बार प्राप्ति का प्रयास भी विफ़ल जाता है ।

मेरी चेतना शक्ति पूर्ण रूपसे जाग्रत नहीं हुई है, इसीलिये मुझे बहुत लोगों के ठगा, गलत रास्ता दिखाया । सभी का जन्म एक उद्देश्य पूर्ति के लिए होता है । विरले ही उस उद्देश्य को समझते हैं और उसके पीछे चलते हैं । मैंने करोडो रूपए गवाये, मेरे से धोखे से लूटा गया, विश्वाश मेरा टूट गया इन सब लोगों से । फिर भी मेरी अंतरात्मा ढूंढ रही है ब्रह्म से मिलने के लिए । और अंत में मुझे सही साथी, मार्गदर्शक मिल गया । माँ दिव्यांशी ने मेरे जीवन में कदम रखा । माताजी से मिलने से पहले ही वो मेरे बारे में सब कुछ जान गयी थी । वो साक्षात देवी हैं, मैंने खुद भी उनका असली रूप देखा है । कहते हैं कि ईश्वर बहुत परीक्षा लेता है उस तक पहुँचने के लिए । सारे रास्ते बंद कर देता है, देखता है कि क्या ये भक्त फिर भी मुझे मिलने के लिए तरसता है कि नहीं । और अंत में विजय भक्त की ही होता है जो अटल विश्वास के साथ भक्ति में डूबा हुआ हो । ऐसे ही मेरा साथ हुआ, जब मेरे से सब कुछ छीन गया गलत लोगों के गलत रास्ता दिखाके, फिर भी मैं हारा नहीं था, एक दिन सही रास्ता मिल गया और माता जी का आगमन हुआ जीवन में ।

माताजी के आते ही मेरे धीरे धीरे काम सुधारने लगे । पहले जो में गलत लोगों के चक्रब्युह में फँस गया था, जब मैंने इसमें निकलने का प्रयास किया, तो फिर कई बार तांत्रिक हमले भी हुए मेरे और माताजी के ऊपर । जब स्वयं माँ योगमाया दुर्गा अपने साथ है, तो भला कोई दुष्ट शक्ति कैसे काम करेगी । एक एक करके सब दुष्ट लोगों से मेरी मुक्ति करवा दी । फिर भी मेरेे परिवार वालों को यह पसंद नहीं था कि मैं आध्यात्मिक मार्ग पे पूरी तरह डूब जाऊं । मैंने नौकरी भी छोड़ दिया था और आर्थिक संकट में पड़ा था । माता जी के मदद से दोनों ही सरल होगये । 


चमत्कार ही मनुष्य को सही मार्ग दिखाता है जब कोई भटका हुआ हो । माताजी ने बहुत सारे अद्भुत चमत्कार दिखाएं हैं । वैसे तो उनके जीवन में बचपन से ही ऐश्वरिक चमत्कार कई सारे हुए हैं । जब वो अपनी माँ के गर्भ में थी, उनके पिता को दैवी संदेश मिला था कि एक देवीकन्या जन्म लेने वाली है । अष्टम गर्भ में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उनका जन्म हुआ । जन्म के वाद उनके घरमें धन का आगमन होता रहता था। वो ब्राह्मण कुल से हैं । पिता एक देवता स्वरूप आध्यात्मिक पुरुष थे । उनके मार्ग दर्शन के कारण वो इतने ऊंचे स्तर तक गयी । बचपन में ही कृष्ण के प्रति अपार स्नेह, भक्ति देख वो समझगयीं थी के वो ही बास्तव में कृष्ण के राधा हैं । युवा अवस्था (18साल) मे उन्होंने गृह त्याग दिया परिवार के विरोध में और आध्यात्मिक प्रगति उनकी बढ़ने लगी । वो अकेले ही चल पड़ी थी केवल ईश्वर के सहारे । एक अत्यंत सुंदर रूपवती कन्या को देखकर बहुत लोगों ने उनके पीछे भी पड़े, लेकिन चमत्कार के प्रभास से सब उनको अपनी माता देवी समझ पाये । उन्होंने कई रातें कई दिन ऐसे ही बिना कुछ खाये उनको गुज़ारा करना पड़ा । धीरे धीरे दैवी चमत्कारों के प्रभाव से सब लोगों ने उनको माता कह कर उनकी पूजा करने लगे । जहाँ भी वो जाती, भजन कीर्तन करते हुए पुष्प बारिश करते हुए उनके भक्त मंडली उनके साथ पहुंच जाती । कई घरों में निःसंतान को संतान की प्राप्ति दिलाई, कईयोंका शादी कराके घर बसाया । उनकी लंबी गाथा का यहां वर्णन करना उचित नहीं है । मैंने उनके साथ कई बार ध्यान किया । और हर बार मुझे अद्भुत अनुभूति हुई । कभी आकाश से फूलों का गिरना, उनके पैरों से दूध निकलना, दैवी शक्तियोंका आगमन होना आदि । प्रभु के आश्रय में जो आजाते हैं, उन में आनंद ही आनंद रमता है ।