एक नज़र …
है नया एहसास, नयी उमंग
और हजार उमडते
तरंग
भरके जीवन में कई
रंग
एक नज़र ही तो करती है तंग
।
दिल में ख्वाब कई
आस जो उठी नई
लेके हजारों पंख, उडने
लगा मन
देके अनुभव अंजाना अपनापन
।
एक नज़र की पहली कशिश
धडकन को चीर के मन में
बसी
जगाती उन्माद रसभरी
उसमें बिलीन होनेकी खुशी ।
घायल होके मदहोश दिल
भूला ये दुनियां
इसी गुलाबी लुबाब में
जैसे खो गया हर लम्हां ।
© सर्बेस्वर मेहेर, १६-जुन्-२०१३
No comments:
Post a Comment