Monday, June 17, 2013

एक नज़र

एक नज़र
है नया एहसास, नयी उमंग
और हजार उमडते तरंग
भरके जीवन में कई रंग
एक नज़र ही तो करती है तंग ।

दिल में ख्वाब  
आस जो उठी नई
लेके हजारों पंख, उडने लगा मन
देके अनुभव अंजाना अपनापन ।

एक नज़र की पहली कशिश
धडकन को चीर के मन में बसी
जगाती उन्माद रसभरी
उसमें बिलीन होनेकी खुशी ।
 
घायल होके मदहोश दिल
भूला ये दुनियां  
इसी गुलाबी लुबाब में
जैसे खो गया हर लम्हां ।

                  © सर्बेस्वर मेहेर, १६-जुन्-२०१३

Monday, June 10, 2013

दो पल

क्या हैं ये दो पल !

कभी आखों में आसुं
कभी होंठों पे मुस्कान
कभी हाथों में हाथ
कभी ना किसी का साथ
ये दो पल ही हैं सब
ज़िन्दगी का अनुभव ।।


दो पल की ये ज़िन्दगी
लाती कई कहानियां
कुछ नई उम्मीद भरी
कुछ बीती परेशानियां ।
रंगीन ये पल बनजाएं बेरंग
आना-जाना यहां ना किसी संग
जो भी है भरलो दिल में उमंग
बदल चलो अपने पल के तरंग ।।

यह पल ही है तो अपना
चलो कर लें पुरा सपना
जो दे रहा भरोसा
नई दिशा की आशा ।।


    - सर्बेस्वर मेहेर, १०-जुन्-२०१३