Monday, June 17, 2013

एक नज़र

एक नज़र
है नया एहसास, नयी उमंग
और हजार उमडते तरंग
भरके जीवन में कई रंग
एक नज़र ही तो करती है तंग ।

दिल में ख्वाब  
आस जो उठी नई
लेके हजारों पंख, उडने लगा मन
देके अनुभव अंजाना अपनापन ।

एक नज़र की पहली कशिश
धडकन को चीर के मन में बसी
जगाती उन्माद रसभरी
उसमें बिलीन होनेकी खुशी ।
 
घायल होके मदहोश दिल
भूला ये दुनियां  
इसी गुलाबी लुबाब में
जैसे खो गया हर लम्हां ।

                  © सर्बेस्वर मेहेर, १६-जुन्-२०१३

No comments: