मैं अनादि हूं
मैं ही अनंत हूं
मैं हूं ब्रह्म रूपी राम
सत् चित् आनंद हूं
प्रेम पुण्य शक्ति हूं
मैं हूं निर्विकल्प धाम ।
नाद से परे हूं मैं
भाव में बिभोर मैं
मैं ही सबका हूं प्राण
शून्य और नाद में
प्रकाश और आकाश में
मैं हूं सर्वव्यापी नाम ।
शिव और शव में छिपा
मेरी ये अव्यक्त लीला
मैं हूं राधा और श्याम
विलय व आरंभ हूं
काल से परे हूं मैं
खेलूं रचा मेरा काम ।
~सर्वेश्वर मेहेर
२९ मार्च २०१९
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